ज़िन्दगी की राहों मे जीतता चला जाऊँगा,
हो तम कितना भी चीरता चला जाऊँगा,
ऐ कपट, पास भी न आना मेरे,
वरना तुझे भी नेक राह पे खींचता चला जाऊँगा,....
तुझे भ्रम है बंदे की सब तेरे है,
सबके बटे है तो अलग - अलग कर्मयुद्ध और धर्मयुद्ध,
ओ अकेले,
तू भी अकेला है अपने युद्ध मे,
पर चल अकेला अंधियारे और उजियारे पथ मे ....
भटक न तू, एक क्षण को भी थक ना तू,
जिस पल तू भटक जायेगा तो ठोकर ही तो खायेगा,
पर ठोकर ही तो राह गलत समझाती है ....
विश्वास ही तो धोका, खुशी ही तो आंसू दिलाती है,
है जीतता तू अबी, तो हारेगा कभी भी,
है जीवनचक्र ये सभी, खो के ही तो पाना आएगा ....
तू इंसान है, इंसान ही तो ठोकर खायेगा,
आज गिरा है तो कल ऊठ भी जायेगा.
आज खोया है तो कल फिर सब पा भी जायेगा ....
सही मार्ग पर चलते - चलते एक दिन मंज़िल को पा जायेगा,
हिम्मत न हार और धैर्य के सहारे कहता चल,
ज़िन्दगी की राहों मे जीतता चला जाऊँगा,
हो तम कितना भी चीरता चला जाऊँगा,.........
wonderful..keep it up dear
ReplyDeletethanx sweetyyyyy....:-)
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