Sunday 26 April 2020

"संघर्ष"

संघर्ष अनवरत अविराम,
आधारित उस पर हर परिणाम,

मैं सोचता,कुछ खोजता,
कुछ ज्यादा ही संकीर्ण,
बन्धनों में बंधा पर विमुख,
चलता रहता हूँ पथ पर,
अस्पष्टता को चीरता,
अस्थिरता को भेदता,

इस संघर्ष में अकेला,
कभी संग अपनों का,
कभी भीड़ में बिलकुल अकेला,
पर न डिगा, न मिटा,
मेरा प्रयास,

इस संघर्ष में खड़ा अभिमानी सा,
कुछ लगता कभी अभिश्यापी सा,
न थमा, न रुका,
दम तोड़ता पर दम कंहा छोड़ता,
मंजिल को पाऊंगा....

Monday 6 April 2020

COVID-19

तुम कुछ यूँही हराते मुझे
मैं कुछ यूँ ही हारता तुमसे,
ये नाकामयाबियाँ
कुछ यूँ डूबा था मैं खुद में,
की आते उस तूफान की आहाट सुन न सका,

रेत सी छुटती,
पकड़ी न जा सकी,
अब कीमती है हर एक जान,
ये सब मेरे हैं,
यूंही ना मिटने देंगे,
मिटेंगे हम नहीं ,
तुम्हें ही मिटना होगा,



GO CORONA ,GO....