तुम कुछ यूँही हराते मुझे
मैं कुछ यूँ ही हारता तुमसे,
ये नाकामयाबियाँ
कुछ यूँ डूबा था मैं खुद में,
की आते उस तूफान की आहाट सुन न सका,
रेत सी छुटती,
पकड़ी न जा सकी,
अब कीमती है हर एक जान,
ये सब मेरे हैं,
यूंही ना मिटने देंगे,
मिटेंगे हम नहीं ,
तुम्हें ही मिटना होगा,
GO CORONA ,GO....
Wow...
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