ये चुप रहने वाले लोग, बहुत खुश रहने वाले लोग,
सब कुछ जानने वाले लोग, ये दूरी बनाने वाले लोग.
कुछ दूसरों को दर्द से बचाने वाले,
अंदर ही अंदर घुटने वाले लोग,
ये जाने देने वाले लोग,
ये गुरूर वाले लोग, बड़ों में खुद को छोटा पाने वाले लोग.
वो बुरी तरह से आहत होने वाले लोग,
वो जिनको लगता है दुनिया उन्हें नहीं समझती वाले लोग.
और भी जिन्हें लगता है कोई नहीं समझेगा,
बड़े शातिर लोग, अपने इरादे ना भांपाने वाले लोग.
किसी को कुछ भी ना समझाने की ज़रूरत समझने वाले लोग,
काम से काम रखने वाले लोग, वो रिश्ते में आगे ना बढ़ने चाहने वाले लोग.
ये ओढ़े रखते हैं लिबास चुप्पी का,
इस चुप्पी की अपनी परिभाषा है।
और जिस तरह से लोग तुमसे बात करते हैं?
कहते हैं गहराई और कहानी हर रिश्ते की,
तो तुम्हारी चुप्पी कैसी है?
बैठ कर तसल्ली से सोचो?
[चुप्पी, जो बोलती है परंतु शब्दों में नहीं,
एक कवच जो दिल की गहराइयों को छुपाता है।
क्या यह एक ताकत है या एक कमजोरी? यह चुप्पी जो इतनी गहरी है?
क्या यह बचाती है या छुपाती है, जो सच्चाई दिल की गहराइयों में छुपी है?]
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