Saturday, 9 August 2025

Waqt!

 यह छोटी-छोटी आंखें, ये प्यारे-प्यारे हाथ,

कितना प्रेम चाहते हैं? 

जब मुंह पकड़ डूब मेरी आंखों में आंखें डाल देते हैं,

मैं काम में उलझी, कुछ खुद की उधेड़बुन में सुलझी,

भूल जाती हूं, कि वो इंतज़ार करते हैं,

कभी अकेले सो जाते हैं,

ये प्यारे से अनमोल,

दिल करता है खुद को कुर्बान कर दूं इनपे,

हम सबके दिल में ऐसा ही है एक प्यार का प्रेमी,

एक अनजान, जो ढूंढता है अथाह प्रेम,

धीरे-धीरे थक, सीख जाते हैं जीना खुश,

कन्हा कोई है इन आंखों को समझने वाला?

मैं तो अक्सर ही खुद को झगड़ता पाती हूं,

देने को वक्त, जिससे भी प्रेम करूं,

जब भी जीना चाहा जिसक साथ,

टूट कर चाहा जिसको हर पल,

पर बड़ा ही खूबसूरत इत्तेफाक होता होगा,

जिसको वो प्रेम उसी वक्त मिल पाया होगा,

जिन्हें खुदा एक दूसरे का बना देता है सदा के लिए,

तुम इन पलों को बटोर लो,

क्योंकि ये नन्हे हाथ, छूट जाएंगे बड़ी जल्दी!



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