जब वक्त कम और कहना ज्यादा हो,
जब जुदा होने को हो और साथ ज्यादा रहना हो,
जब अल्फाज कम और जज्बात ज्यादा हो,
जब पाने को कम और खोने को ज्यादा हो,
जब बहना ज्यादा और बंधन ज्यादा हो,
जब कोई जिंदगी में न हो फिर भी वो दिल में खास हो,
जब पाने को कम दांव पर ज्यादा हो,
जब लेने की कोई आस नहीं और देना ज्यादा हो,
जब बहुत कुछ दिल में दबा हो,
जब भुलाना नहीं यादों के साथ जीना हो,
जब... जब... जब...
बहुत है पर कुछ कहना नहीं है और सहना बहुत है!!
यह भी गुजर जाएगा!
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