Monday, 30 June 2025

Aks!!


ये जो हमें आइन‌े में दिखता है,
जो हमें अपना अक्स लगता है,
क्या ये सबके लिए ही ऐसा है,
वास्तविकता में नहीं,
हम और हमारा प्रतिबिंब उन्हें अलग नजर आता है,
किसी को प्यारा, किसी को डरावना,
ये भावनाओं का जामा पहना होता है,
जैसी सोच वैसा ही बिखरा होता है,
हम तो एक ही हैं,


पर सबके लिए अलग और अनेक,
सब अपने-अपने मतलब से वाकिफ हैं,
ये उन्हें अपने मतलब से ही बंधा दिखाई देता है,
ये जो हम खुद पर फक्र करते हैं,
अक्सर ये हमारे अच्छे का जिक्र नहीं करते,
कोई देख छिड़ जाता,
कोई इतरा‌ते,
कोई उपहास उड़ाते,
कोई नीचा दिखाते,
ये कोई न असल अक्स को समझता,
और न ही समझना चाहता,
ये अक्स अलग है सबके लिए,
तुम बस खुद को देखो सराहो,
कोई और न अच्छा देख सराहेगा,
बस आगे बढ़ते जाओ!!


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